तनहाई की आवाज़
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सपनों को छोड हकीकत में, जीना आसान नही............ हर सॉस घुटन भरी हो तो, जीना आसान नही........... मुश्िकल होता है जीना जब, दिल कुछ कहे, दिमाग कुछ खुद का दिल खुद तोडते रहना और, जीना आसान नही............. हर रोज वही सूरज निकले, ढल जाये शाम ढले ज्यो ही, जिंदगी बिना उम्मीद कोई, साथी जीना आसान नही.............. कहते हैं सब भूलो कल को, दिन नया है नई सुरुआत करो, और यादे जो हैं पास मेरे, बिन उनके जीना आसान नही........... जी करता है छोड चला जाऊं , इस खुद से खुद की लडाई को, पर बीच समर हथियार डालकर भी जीना आसान नही............. है शहर दुखों से भरा तुम्हारा, कोई अपना शहर बनाता हूं... पर छोडकर तुम सब को जाना, और जीना आसान नही.........
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