तनहाई की आवाज़
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कस्ती को किसी किनीरे की दरकार है बस,
भटके राही को मंजिल का इकित्यार है बस,
तुम चले गए देखो फिर भी जिंदा हूं मैं,
कसक है यह, कि अब भी तुमसे प्यार है बस,
बदल गया सब, देखो वक्त बदलते ही,
तुमने ढूड लिया नया दर, मेरा हॉथ फिसलते ही,
यह भी अजब दीवानापन है, भूल गये जो प्यार तुम
हमें उसपर अब भी ऐतबार है बस
बस्ती किसी के ख्वाबो की जब धू धू जली होगी,
बद्दुआ हर चीख पर उसके दिल से निकली होगी,
अब डर है कि वो न मंजूर हो खुदा के दर पर,
आज भी उसकी दुआओं मे उसका मुजरिम सुमार है बस,
है नसीहअत कि प्यार न करना,
जो प्यार करना तो कभी ऐतबार न करना,
चडा कर अर्स पर यह फर्स पर गिराते है,
हुस्न बालो से खुद को बचाने की दरकार है बस,
है भरोसा कि मेरी दुआये़ कबूल होगी जरूर,
मेरी बेचैनियां भी कम होगी जरूर,
मुझे यकीन है अब उसकी खुदायी पर,
सब कुछ सही होने का इंतजार है बस,
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